✏ आजकल हैकर्स सोशल नेटवर्किंग ✉ साइट के खाते हैक करने के बाद उस खातों का इस्तेमाल अश्लील फोटो व वीडियो अपलोड में कर रहे हैं।
हैकर किसी जानकारी को गलत तरीके से भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अनवांटेड स्पैम एप्लीशन ✳ के जरिए हैकर्स आसानी से किसी भी अकाउंट को हैक कर सकते हैं। हैकर्स पहले किसी एप्लीकेशन का लिंक भेजता है और उस लिंक पर जैसे ही यूजर्स क्लिक करता है पासवर्ड 〽 की जानकारी उन तक पहुंच जाती है। खाता हैक होने के बाद इसका उपयोग हैकर्स गलत तरीके से कर सकता है। अकाउंट को हैक करने के बाद हैकरों ने एक ऐसा लिंक या फिर वीडियो, फोटो ✨ खातों में छोड़ना शुरू कर दिया है जिसे क्लिक करने वाले के प्रोफाइल में भी वह लिंक आ जाता है। इस तरह यह सिलसिला दिन-ब-दिन दूसरे खातों में बढ़ता चला जा रहा है। बढ़ते सोशल नेटवर्क ने जहां एक ओर कम्युनिकेशन को बढ़ाया है, वहीं इन्हीं सोशल साइट्स के जरिए हैकर्स के द्वारा इंटरनेट ✴ यूजर्स के कंप्यूटर्स हैकिंग में भी इजाफा हुआ है। इसी तरह की मुश्किलों का बीते दिनों मेँ भारतीयोँ को भी सामना करना पड़ रहा है।
हैकर्स द्वारा देश के फेसबुक तथा अन्या सोश्याल नेटवर्कींग साईटस यूजर्स को अनजान ट्रोजन हॉर्स लिंक भेजे जा रहे हैं। इन पर क्लिक करने वाले के पीसी से जुड़ी पूरी जानकारी डायवर्ट होकर अनजान हैकर्स तक पहुंच रही हैं। हैकिगँ होनेँ से बचने के लिये
⭕ ➡अनवांटेड एप्लीकेशन को क्लिक न करें।
⭕ ➡कोई एप्लीकेशन के माध्यम से आपको लिंक भेज रहा है तो उस एप्लीकेशन को भूल कर एड न करें।
⭕ ➡साइटों पर फ्री में मिलने वाले वायरस या फिर सॉफ्टवेयर लोड न करें।
⭕ ➡किसी के खाते में अश्लील फोटो या वीडियो है तो उसे नहीं खोलें।
⭕ ➡अपने पासवर्ड को गोपनीय रखें व खाता खोलने के लिए साइबर कैफे के इस्तेमाल से बचें।
बुधवार, 18 जून 2014
रविवार, 20 अप्रैल 2014
ये भी भुला दिये जायेगेँ ....
लेपटोप और स्मार्टफोन तथा टेवलेट के वजह से डेस्कटॉप प्रड़ोक्ट्स कि मांग कम हुई हे । आज भी कुछ अफिस और प्राय घरोँ मेँ डेस्कटॉप कंम्प्युटर का ही इस्तेमाल होता है और ये ट्रेन्ड सायद चार पांच साल चलगे । नये कोम्प्युटर के आ जाने से आज भले कोई डेस्कटॉप को प्राधान्य न दे रहा हो परंतु एक वक्त था जब कोम्प्युर मतलब डेस्कटॉप को ही माना जाता था । डेस्कटॉप ही कोम्प्युटर की प्रारभं है पर क्युँ की अब नये टेक्नोलोजी नेँ डेस्कटॉप को लोकप्रियता मेँ पछाड़ दिया हे लगता हे बहुत जल्द इसकी भी टाईपराईटर जैसा हाल होगा । लोगोँ को अब कोम्प्युटर पर जॉबवर्क, पेजमेकींग या डेटाएन्ट्री की वर्क करना हे तो वो लेपटोप का ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हे ।
जेनीथ जैसे कंपनीओँ ने डेस्कटॉप के बदले मोबाईल पर इन्टरनेट ओपरेट करते लोगोँ को टार्गेट बनाकर प्रड़ोक्ट बनाने लगे है । डेस्कटॉप बनानेवाली कंपनी मोनीटर,सीपीयु आदि कंपनीओँ ने इसमेँ कुछ बदलाब करके मार्केट मेँ टिके रहने के लिये प्रयास किया था परंतु इन सबके बावजुद अब कहना पड़ेगा की शायद डेस्कटोप का सूरज डुबने वाला हे ।
जेनीथ जैसे कंपनीओँ ने डेस्कटॉप के बदले मोबाईल पर इन्टरनेट ओपरेट करते लोगोँ को टार्गेट बनाकर प्रड़ोक्ट बनाने लगे है । डेस्कटॉप बनानेवाली कंपनी मोनीटर,सीपीयु आदि कंपनीओँ ने इसमेँ कुछ बदलाब करके मार्केट मेँ टिके रहने के लिये प्रयास किया था परंतु इन सबके बावजुद अब कहना पड़ेगा की शायद डेस्कटोप का सूरज डुबने वाला हे ।
गुरुवार, 17 अप्रैल 2014
गरबा के रंग बिन गुजरातीओँ के संग B-)
मोदी जी नेँ हाल ही मेँ India tv मेँ आये एक महिला के प्रश्न पर कहा था कि आप गुजरात मेँ अक्टोबर नभेम्बर मेँ आयेँ और देखियेगा रात के 1.00 बजे भी लड़कियाँ गरबा खेलते मिलेगेँ या अंधेरे सड़कोँ पर अकेली जाते हुए मिलेगेँ । मैनेँ गुजरात के 6 सहरोँ मेँ लगभग 8 साल बिताया और गरबा क्या हे ये मुझे अछी तरह से मालुम हे । आपको एक बात बता दुँ ,,, आप कभी गुजरात मेँ गरबा के समय जायेँ तो देखियेगा जहाँ जहाँ गरबा हो रहा होता है वहाँ सुरक्षा के लिये खास लोग डंडे लेकर मौजुद रहते है और हर नाके पर एक चौकिदार या पहरेदार मिलजायेगा जिसके पास बंदुक आदि रहता हे। वे कोई सरकारी लोग नहीँ उन कन्याओँ के भाई अथवा रिस्तेदार होतेँ है । मतलब अगर आपने गलति से भी गलति किया तो आपकि खैर नहीँ हाँ !:-O B-) ;-) ! गुजरात मेँ गरबा खेलाजाता है और आदिवासी भी इसतरह नाचते गाते और पीते पिलाते हे । आदिवासीओँ मेँ ज्यादातर विवाह इन नाचगानोँ मेँ तय होता हे ठिक उसी तरह गरबा मेँ भी लड़का लड़कि को पसंद करता हे और फिर कुछदिन बाद शादी ! अबतक आप ये पढ़कर गुजरातीओँ से जलने लगे होँगेँ कि यार हमारे यहाँ ऐसा होता तो मेँ भी एक आद लड़किओँ को आराम से पटा लेता :-P :-P :-D! ! ! गरबा मेँ झुमते लड़किओँ को देखने का मज्जा हि कुछ और है और इस अवसर का लुफ्त उठाने के लिये दुसरे राज्योँ से आये हुये मजदुर अकसर वहाँ जाते है जहाँ गरवा हो रहा होता हे , मुझे देखने से कोई परहेज नहीँ पर वो जिस अंदाज मेँ उन लड़किओँ देखते है जैसे कोई भुका सामने खाना देखकर होता हे । दुसरोँ के वहू वेटिओँ को देखकर अपने जिभ से लार टपकनेँ मेँ क्या फायदा बहतर होगा ये लोग भी इनके साथ हाथ से हाथ मिलाकर नाचेँ ;-) :-) ! गरबा मेँ नाचने के लिये गुजरातीओँ को कोई अभ्यास करने कि जरुरत हि नहीँ है क्युँ कि गुजरात मेँ हर किसी के शादी मेँ लोग गरबा करते है । जैसे वीर अपने मा के उदर से ही सिखके आते कि कैसे चक्रव्युह तोडना हे कैसे तलवार और घोड़ा चलना हे ठिक उसी प्रकार हर गुजराती अपने माता के गर्भ मेँ ही गरबा खेलखेल कर आखिर मेँ जन्म लेता हे :-O :-O :-P ! अब क्युँ आप लोगोँ नेँ गरबा के बारे मेँ इतना सब पढ़लिया हे आपको भी गरबा देखने का मन कर रहा होगा तो देर किस बात कि गुजरात आपको स्वागत करने के लिये चमकता हुआ तैयार है । :-P :-P B-)
रविवार, 6 अप्रैल 2014
सबसे बहतर था हेल्वेटीका फोन्ट (Helvetica font)
जो लोग इंटरनेट और कोम्प्युटर टेकनोलोजी के साथ जुडे है वो सभी हेल्वेटीका फ्रोन्ट का उपयोग कर चुके है और इसके वारे मेँ थोड़ा वहुत जानते होगेँ। लुफतान्सा,माइक्रोसोफट,टोयोटो,जीप, और 3 एम् मेँ एक सामान्य वात यह हे कि इन सभी कंपानीओँ ने हेल्वेटीका फोन्ट का उपयोग किया । फोन्ट एक प्रकार कि पहचान हे, जैसे माइक्रोसोफ्ट् - विन्डोज कि एरीयल फोन्ट हे , इसी तरह टाइम्स अखबार नेँ स्वयं कि टाइम्स रोमन फोन्ट डेवलोप किया था । सेरीफ फोन्ट, कोपरप्लेट, गोपीक और फोक्स रोमन फोन्ट आदि पश्चिम के देशोँ मेँ तैयार किया गया था परंतु जब हेल्वेटिका आया सब बदल गया क्युँ कि इसमेँ पूरव के आईडिया भी लगे हुए थे और ये दुसरे फोन्ट से वहतर था । यह हेल्वेटीका फोन्ट स्विजरलेँड मेँ तैयार किया गया था , 1957 मेँ मेक्स् मेडीनीगर और एडवर्ड हॉकमेन के आईडिया से हेल्वेटीका बना था । जबकि लाइनवाला टाइप मशीन आया तब समाचार संस्था किस तरह फोन्ट का इस्तेमाल करेगेँ ये आईडिया माईक पार्कर नेँ दिया था । 1960 मेँ लाइन टाइप के लिये हेल्वेटीका तैयार किया गया था । गुटनवर्ग कि क्रांति के वाद प्रिन्टीँग टेकनोलोजी मेँ और सुधार आया । जब दो दशक पहले डेस्कटॉप पव्लीशीँग शुरु हुआ तब कोम्प्युटर सेकडो फोन्ट के साथ बेचा जाता था । उनदिनोँ वहु उपयोगी फोन्ट बनाने के लिये माइक पार्कर नेँ कोओर्डीनेशन किया था , फोन्ट द्वारा कलर कोम्प्युनिकेशन को भी संभव बनाया था । एसियाइ देशो मेँ फोन्ट डेवलप करने मेँ चीन सबसे आगे था । भारत मेँ भी तामिलनाड़ु दुसरे राज्योँ से वहतर था ।
शुक्रवार, 21 मार्च 2014
इंटरनेट का जन्मस्थान
29 Oct. 1969 मेँ इंटरनेट का जन्म हुआ था । इस दिन जिस जगह से मात्र 2 शब्दोँ वाला प्रथम इंटरनेट मेसेज भेजा गया वहाँ आजकल एक इंटरनेट लेवोरेटरी चल रहा हे । दो शब्दोँवाला मेसेज भेजने के वाद इंटरनेट ठप हो गया था । केलिफोर्निया युनिवर्सिटी के रुम नं. 3420 मेँ स्टाक नेँ 45 वर्ष पहले लोस एंजलस मेँ स्थित स्टेनफोर्ड युनिवर्सिटी स्टाफ के साथ कम्युनिकेशन किया था । इसमेँ SDS - Sigma 2 कम्प्युटर का इस्तेमाल किया गया था । रेफ्रीजरेटर आकार के मशीन नेँ प्रथम मेसेज स्टोर करके भेजा था । इस मशीन को इंटरनेट का जन्मस्थल कहेँ तो शायद ठिक रहेगा क्युँ कि इंटरनेट नेँ पहला श्वास यहाँ लिया था .। इंटरनेट कि आइडिया उन दिनोँ के कोम्प्युटर सायन्टीस्ट लीओनोर्ड क्लीनरॉक के मगज से आया था । जो प्रथम मेसेज ‘log in ’ था लेकिन 'न्द और ‘O’ भेजने के बाद सिस्टम ठप्प हो गया और एक घंटे बाद कोम्प्युटर फिर से चालु हो गया था । इसके बाद दोनोँ सेँटरोँ के बीच कायमी लिँक बनाया गया जिसे हम लोग आजकल इंटरफेस मेसेज कहते हे और डिसेम्बर 1969 तक ऐसे चार लिँक बनाया गया था ।
शुक्रवार, 7 मार्च 2014
Hi5 से Instagraam तक
सोश्यल नेटवर्कीगँ 2003 मेँ शुरु हुआ । 34 वर्षीय रामु चेलामन्ची एवं 31 वर्षीय अक्स गर्ग नेँ 2003 मेँ ' hi5 ' बनाया था . दोनोँ नेँ कम्प्यटर सायन्स ग्रेज्युएट किया था भारतीय अमेरिकन थे । hi5 के वारे मेँ भारतीयोँ को ज्यादा पता न था परंतु 2004 मेँ Orkut के आ जानेँ से लोगोँ का सोश्यल नेटवर्कीगं तरफ ध्यान आकर्षित हुआ ।Orkut द्वारा मिलेँ मित्रोँ का प्रथम विवाह देहरादुन मेँ हुआ था , परंतु फेसबुक के आ जानेँ से Orkut का इस्तेमाल कम होता गया । जाहिर हे फेसबुक नेँ orkut को हरा दिया था ।सोश्यल नेटवर्कीगं साईटस का क्रेज फेसबुक के कारण बढा, फेसबुक के वजह से कागज कलम युग खत्म हो गया हे, जो लोग टाइपराइटर पर कविता लिखते थे वो अब सीधे फेसबुक के वोल पर लिखने लगे हे । फेसबुक आज भारत मेँ इतना फैमस् हो गया है कि लोग इंटरनेट को फेसबुक कहने लगे हे । फेसबुक 2004 मेँ शुरु हुआ था , इसका साइट डिजाईन भारतीय अमेरिकन नरेंद्र कार्तिक ने किया था जिसे उनके सहपाठी जुकरबर्ग नेँ बीना बताये चोरी कर लिया था । बाद मेँ केस हुआ और जुकरबर्ग केस हार गये और उन्हे जुर्माना भरना पड़ा । अबतक फेसबुक मेँ केवल भारत मेँ हि 93 मीलीयन(1 मीलीयन =10 लाख ) युजर हे .2006 मेँ ट्वीटर आया, ट्वीटर 140 शब्दोँ कि ये महामाया हे. लोगोँ को अपने बिचार 14
शब्दोँ मेँ कहना पडता हे । सेलिव्रीटी और राजनितीज्ञो मेँ ट्वीटर फैमस हे । मारत मेँ 123 मीलीयन इंटरनेट युजर मेँ से 6.7 % के पास ट्वीटर अकाउंट हे । इसी तरह कई और सोश्याल नेटवर्किगं साईट्स भी हे जैसे tagtag, linkedin,google+,bharatstudent, fropper,ibibo ,myspace आदि । Linkedin मेँ ज्यादातर ब्यापार से संबद्ध रखनेवाले लोग जुडते हे जबकि Google+ के लिए गुगल अकाउंट कि जरुरत होति हे । दोस्तो के साथ Online गेम खेलना हे या कुछ जानकारी हासिल करना हे तो Bharatstudent से बहतर कोइ नहीँ । Whatsapp के बिक जाने के बाद अब लोगोँ को एक नया सोशियाल नेटवर्क कि तलाश हे जिसमेँ नया फिचर्स हो । बैसे देखा जाय तो इन्सटाग्राम का जमाना आनेवाला हे । सोश्यल नेटवर्कीगं कि ये हेन्ड रीटर्न लेटर्स ट इट्साग्राम तक का सफर था । इन दश साल मेँ बहुत कुछ बदला हे और आगे बदलनेवाला है ।
शब्दोँ मेँ कहना पडता हे । सेलिव्रीटी और राजनितीज्ञो मेँ ट्वीटर फैमस हे । मारत मेँ 123 मीलीयन इंटरनेट युजर मेँ से 6.7 % के पास ट्वीटर अकाउंट हे । इसी तरह कई और सोश्याल नेटवर्किगं साईट्स भी हे जैसे tagtag, linkedin,google+,bharatstudent, fropper,ibibo ,myspace आदि । Linkedin मेँ ज्यादातर ब्यापार से संबद्ध रखनेवाले लोग जुडते हे जबकि Google+ के लिए गुगल अकाउंट कि जरुरत होति हे । दोस्तो के साथ Online गेम खेलना हे या कुछ जानकारी हासिल करना हे तो Bharatstudent से बहतर कोइ नहीँ । Whatsapp के बिक जाने के बाद अब लोगोँ को एक नया सोशियाल नेटवर्क कि तलाश हे जिसमेँ नया फिचर्स हो । बैसे देखा जाय तो इन्सटाग्राम का जमाना आनेवाला हे । सोश्यल नेटवर्कीगं कि ये हेन्ड रीटर्न लेटर्स ट इट्साग्राम तक का सफर था । इन दश साल मेँ बहुत कुछ बदला हे और आगे बदलनेवाला है ।
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014
तुंगास्का मेँ हुआ था सबसे रहस्यमय धमाका ....
रशिया के निर्जन तुंगाश्का प्रांत पर 1908 मेँ एक ब्लास्ट हुआ था .उन दिनोँ टेक्नोलोजी और सवुत के आधार पर ब्लास्ट कैसे हुआ था यह जानने के लिये जांच दल भेजा गया था , परंतु उस समय कुछ खास पता न चलसका . 108 साल वाद आज भी तुंगास्का मेँ कैसे ब्लास्ट हुआ था इस प्रश्न का उत्तर नहीँ मिल पाया हे । रशिया का ज्यादातर हिस्सोँ मेँ वर्फ गिरता हे निर्जन हे । ऐसा हि एक प्रदेश तुंगास्का हे जिसे दुनिया मेँ वहुत कम लोग जानते हे . 1908 ૩0 जुन का दिन तुंगास्का प्रदेश के लिये ऐतिहासिक बन गया . सुबह के 5:38 बजे विस्फोट हुआ और आधे दुनिया मेँ आवाज गुंज उठा . दुर दुर दक . 5 रिक्टर स्केल का भुकंप अनुभव हुआ था । 65 किलोमिटर विस्तार मेँ मकानोँ के काँच भी टुटगया । रशिया से दुर लंडन मेँ सबेरा होनेवाला था पर विस्फोट के प्रकाश से विजली गिरी हो ऐसा प्रकाश छा गया । धमाका रशिया के तुंगास्का प्रांत स्थित वानावारा ग्राम कि उत्तर दिशा मेँ हुआ था परंतु तत्काल वहाँ पहचँना आसान नहीँ था । पहला विश्वयुद्ध शुरु हो गया था इसलिये रशिया नेँ इस पर खास ध्यान नहीँ दिया । फिर भी रशिया का सेन्टपिटर्सवर्ग सहर के म्युजियम क्युरेटर लियोनिद कुलिक नेँ इस धमाके का जाँच करने के लिये तुंगास्का सहर के एपी सेँटर मेँ पहचंगये ।तबतक इस दुर्घटना को 19 वर्ष बीत चुका था, यह जगह निर्जन होने के कारण जैसा था वैसा रहा । 20 Sq Km एरिया मेँ पेड़ पौधे जलगया था . लेकिन विस्फोट के केंद्र मेँ सारे वुक्ष सुरक्षित थे । वाद मेँ वैज्ञानिको नेँ हिसाव करके अंदाज लगाया कि कुल 2150 Sq km विस्तार मेँ 8 करोड वृक्ष जलगया था । यहाँ कोइ उलका गिरा था ? या एलियन आये थे ?या रशिया नेँ यहाँ अणु परिक्षण किया था ? कोई अनजाना हमला था ? या फिर ब्लेकहोल या सूरज से आया लेसर किरोणोँ के वजह से ऐसा हुआ था ? इन एक भी सवालें का सटिक उत्तर नहीँ मिलता । हालांकि सारे वैज्ञानिक आंशिक रुप से मानते हे कि शायद यहाँ कोई लघुग्रह गिरा था । तुंगास्का पर अनेक वास्तविक तो अनेक काल्पनिक पुस्तकेँ लिखेँ जा चुके हे , काहानी ,कार्टुन, टिवि सिरियल ,कमिक्स और फिल्मोँ मेँ भी इस दुर्घटना को स्तान मिला हे । अब 2014 मेँ तुंगास्का के नाम से एक साईन्स फ्रिक्सन मुवि भी रिलीज हो रहा हे ,पृथ्वी पर कई विस्फोट हुए लेकिन पिछले सदी मेँ हुआ यह सबसे रहस्य मय धमाका तुंगास्का मेँ हुआ था ।
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