बुधवार, 8 मार्च 2017

ब्रूकलिन ब्रीज् एक प्रेरणादय कहानी

वर्ष 1883 इंजीनियर John Roebling के जीवन में एक महत्वपूर्ण वर्ष था, इस वर्ष वह न्यूयॉर्क से लांग आईलैंड को जोड़ने के लिए एक शानदार पुल का निर्माण करने के लिए अपने विचार के साथ आया था. इसकी भयावहता का कोई अन्य पुल समय के उस बिंदु पर वहाँ नहीं था. बाद मे विशेषज्ञों ने इसे एक असम्भव उपलब्धि कह कर उनके इस विचार को खारिज कर दिया. पूरी दुनिया उनके विचार के खिलाफ थी और उसे योजना ड्रॉप करने के लिए कहा गया.  Roebling के intuition ने उसे कह रखा था कि उसकी दृष्टि पुल के बारे में सही है. Roebling को उसके विचार के लिए केवल एक आदमी का समर्थन प्राप्त था वो था उसका बेटा वाशिंगटन. वाशिंगटन भी एक इंजिनियर था. उन्होंने एक साथ एक विस्तृत योजना तैयार की और आवश्यक टीम को भर्ती किया. वे अच्छी तरह से इस मकसद के लिए तैयार थे. पुल निर्माण का काम शुरू किया गया परन्तु कार्यस्थल पर हुई एक दुर्घटना मे Roebling की म्रत्यु हो गई. आम तौर पर कोई और होता तो इस कार्य को छोड़ देता, लेकिन वाशिंगटन जानता था कि उसके पिता का सपना पूरा हो सकता है.  पर किस्मत तो देखिये, वाशिंगटन को मस्तिष्क क्षति का सामना करना पड़ा और वह स्थिर हो गया ,वह इस हद तक घायल हो गया था कि न तो चल सकता था और न ही बात कर सकता था,यहाँ तक कि हिल भी नहीं सकता था. जैसा की आमतौर पर होता है; विशेषज्ञों, जिन्होंने पुल का निर्माण नहीं करने की सलाह दी थी उन्होंने दोनों को पागल और मूर्ख करार दिया. वॉशिंगटन अपनी सेवाओं का विस्तार करने की स्थिति में नहीं था पर निर्माण परियोजना को समाप्त करने के बारे में भी नही सोच रहा था. वह अपने उद्देश्य के बारे में स्पष्ट था.  वह बातचीत करने के लिए अपनी पत्नी पर पूरी तरह से निर्भर रहा करता था. उसने बातचीत करने के लिए अपनी एक चलती उंगली का इस्तेमाल किया और अपनी बात समझाने की एक कोड प्रणाली विकसित की . शुरू में हर किसी को वह मूर्ख लगा.  पर वाशिंगटन ने हार नहीं मानी, अगले 13 सालों तक उसकी पत्नी ने उसके निर्देशों की व्याख्या की और इंजीनियरों को समझाया . इंजिनियर उसके निर्देशों पर काम करते गए और आखिरकार Brooklyn Bridge हकीकत में बन कर तैयार हो गया . आज ब्रुकलिन ब्रिज एक शानदार कृति के रूप मे बाधाओं का सामना करने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणादायक ट्रू लाइफ स्टोरी के रूप में खड़ा है.  परिस्थितियों को अपनी शक्ति खत्म करने की अनुमति कभी नहीं देनी चाहिए. इस तरह प्यार, समर्पण, प्रतिबद्धता, विश्वास, दृष्टि और अधिक महत्वपूर्ण बात ''हार कभी नहीं'' के रूप में इस प्रेरणादायक सच्चे जीवन की कहानी से बहुत सी चीजें सीखी जा सकती हैं. सब कुछ संभव है …

बुधवार, 1 मार्च 2017

पिकासो कि मिलियन डोलार पैंटिगं

*संघर्ष और सफलता*

पिकासो (Picasso) स्पेन में जन्मे एक अति प्रसिद्ध चित्रकार थे। उनकी पेंटिंग्स दुनिया भर में करोड़ों और अरबों रुपयों में बिका करती थीं।

एक दिन रास्ते से गुजरते समय एक महिला की नजर पिकासो पर पड़ी और संयोग से उस महिला ने उन्हें पहचान लिया। वह दौड़ी हुई उनके पास आयी और बोली, 'सर, मैं आपकी बहुत बड़ी फैन हूँ। आपकी पेंटिंग्स मुझे बहुत ज्यादा पसंद हैं। क्या आप मेरे लिए भी एक पेंटिंग बनायेंगे ?'

पिकासो हँसते हुए बोले, 'मैं यहाँ खाली हाथ हूँ। मेरे पास कुछ भी नहीं है। मैं फिर कभी आपके लिए एक पेंटिंग बना दूंगा।'

लेकिन उस महिला ने भी जिद पकड़ ली, 'मुझे अभी एक पेंटिंग बना दीजिये, बाद में पता नहीं मैं आपसे मिल पाऊँगी या नहीं।'

पिकासो ने जेब से एक छोटा सा कागज निकाला और अपने पेन से उसपर कुछ बनाने लगे। करीब 10 सेकेण्ड के अंदर पिकासो ने पेंटिंग बनायीं और कहा, 'यह लो, यह मिलियन डॉलर की पेंटिंग है।'

महिला को बड़ा अजीब लगा कि पिकासो ने बस 10 सेकेण्ड में जल्दी से एक काम चलाऊ पेंटिंग बना दी है और बोल रहे हैं कि मिलियन डॉलर की पेंटिग है। उसने वह पेंटिंग ली और बिना कुछ बोले अपने घर आ गयी।

उसे लगा पिकासो उसको पागल बना रहा है। वह बाजार गयी और उस पेंटिंग की कीमत पता की। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ कि वह पेंटिंग वास्तव में मिलियन डॉलर की थी।

वह भागी-भागी एक बार फिर पिकासो के पास आयी और बोली, 'सर आपने बिलकुल सही कहा था। यह तो मिलियन डॉलर की ही पेंटिंग है।'

पिकासो ने हँसते हुए कहा, 'मैंने तो आपसे पहले ही कहा था।'

वह महिला बोली, 'सर, आप मुझे अपनी स्टूडेंट बना लीजिये और मुझे भी पेंटिंग बनानी सिखा दीजिये। जैसे आपने 10 सेकेण्ड में मिलियन डॉलर की पेंटिंग बना दी, वैसे ही मैं भी 10 सेकेण्ड में न सही, 10 मिनट में ही अच्छी पेंटिंग बना सकूँ, मुझे ऐसा बना दीजिये।'

पिकासो ने हँसते हुए कहा, 'यह पेंटिंग, जो मैंने 10 सेकेण्ड में बनायी है, इसे सीखने में मुझे 30 साल का समय लगा है। मैंने अपने जीवन के 30 साल सीखने में दिए हैं। तुम भी दो, सीख जाओगी।

वह महिला अवाक् और निःशब्द होकर पिकासो को देखती रह गयी।

दोस्तो, जब हम दूसरों को सफल होता देखते हैं,तो हमें यह सब बड़ा आसान लगता है। हम कहते हैं, 'यार, यह इंसान तो बड़ी जल्दी और बड़ी आसानी से सफल हो गया।' लेकिन मेरे दोस्त, उस एक सफलता के पीछे कितने वर्षों की मेहनत छिपी है, यह कोई नहीं देख पाता !

सफलता तो बड़ी आसानी से मिल जाती है, शर्त यह है कि सफलता की तैयारी में अपना जीवन कुर्बान करना होता है। जो खुद को तपा कर, संघर्ष कर अनुभव हासिल करता है, वह कामयाब हो जाता है लेकिन दूसरों को लगता है कि वह कितनी आसानी से सफल हो गया।

मेरे दोस्त, परीक्षा तो केवल 3 घंटे की होती है,लेकिन उन 3 घण्टों के लिए पूरे साल तैयारी करनी पड़ती है। तो फिर आप रातों-रात सफल होने का सपना कैसे देख सकते हो ? सफलता अनुभव और संघर्ष मांगती है। और, अगर आप देने को तैयार हैं, तो आपको आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता ।

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Theory of death

After his father's death, the Son decided to leave his mother at old age home and visited her on and off. Once he received a call from old age home….Mom very serious ….. please come to visit. Son went and saw mom very critical, on her death bed. He asked: Mom what can I do for you? Mom replied… “Please install fans in the old age home, there are none…. Also put a fridge because many times I slept without food”.  Son was surprised and asked: mom, while you were here you never complained, now you have few hours left and you are telling me all this, why? Mom replied….."it’s OK dear, I've managed with the heat, hunger & pain, but when your children will send you here, I am afraid you will not be able to manage!"